
नई दिल्ली
कुछ ही दिन पहले टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने कहा था कि फेसबुक के को-फाउंडर मार्क जकरबर्ग आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के बारे में बहुत कम जानते हैं। अभी यह बयान पुराना भी नहीं पड़ा, और फेसबुक को कथित रूप से अपना एक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस सिस्टम बंद करना पड़ा क्योंकि, 'बात हाथ से निकलने लगी थी'। इन आर्टिफिशल इंटेलिजेंस बॉट्स ने अपनी एक भाषा गढ़ ली थी जिसमें कोई मानवीय सहयोग नहीं था। इसलिए फेसबुक को यह सिस्टम बंद करना पड़ा। बॉट्स द्वारा नई भाषा गढ़ना और उसमें संवाद करना दिए गए कोड्स के मुताबिक नहीं था।
रविवार को टेक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, 'AI ने दुनियाभर के कम्प्यूटर बंद करना या उस तरह की चीजें नहीं शुरू कीं, लेकिन उसने इंग्लिश का इस्तेमाल बंद कर दिया और अपनी बनाई एक भाषा का इस्तेमाल शुरू कर दिया।' शुरू में AI एजेंट एक-दूसरे से संवाद के लिए इंग्लिश का इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन बाद में उन्होंने एक ऐसी भाषा गढ़ ली जिसे सिर्फ AI सिस्टम ही समझ सकें।
इससे फेसबुक रिसर्चरों को AI सिस्टम बंद करने पड़े और उन्हें अंग्रेजी में एक दूसरे से बात करने के लिए मजबूर करना पड़ा।
जून में फेसबुक के AI रिसर्च लैब (FAIR) के रिसर्चर जब चैटबॉट्स को इम्प्रूव करने में व्यस्त थे तो उन्होंने पाया कि डायलॉग एजेंट्स अपनी एक भाषा तैयार कर रहे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जल्द ही, बॉट्स का ध्यान स्क्रिप्टेड चीजों पर से हटने लगा और वे बिल्कुल नई भाषा में बात करने लगे जो इंसानी समझ से बाहर थी।
मशीन लर्निंग ऐलगॉरिथम्स का इस्तेमाल करते हुए डायलॉग एजेंट्स की संवाद कला बेहतर बनाने के लिए उन्हें खुलकर बात करने दी जा रही थी। रिसर्चरों ने यह भी पाया कि ये बॉट्स काफी अच्छे से मोलभाव कर रहे थे।
रिपोर्ट्स में कहा गया है, कि समय के साथ मोलभाव में काफी तेज़ हो गए और किसी चीज़ में नकली इंट्रेस्ट दिखाने लगे ताकि आगे जाकर एक झूठे कॉम्प्रमाइज में वे दिखा सकें कि उन्होंने वह चीज़ सैक्रिफाइस कर दी है।
हालांकि, यह AI के लिए बड़ी सफलता लगती है, लेकिन प्रफेसर स्टीफन हॉकिंग सहित कई एक्सपर्ट्स को डर है कि धीमी बायॉलजिकल एवल्यूशन वाले इंसानों पर AI राज कर सकती है।
टेस्ला के सीईओ एलन मस्क के अलावा बिल गेट्स और ऐपल के को-फाउंडर स्टीव वॉजनिऐक ने भी AI टेक्नॉलजी के भविष्य पर चिंता जताई है। कुछ ही दिन पहले एलन मस्क और मार्क जकरबर्ग के बीच बहस छिड़ गई थी। जकरबर्ग ने मस्क को निशाने पर लेते हुए कहा था, 'कुछ लोग हर चीज़ में ना कहते हैं, मुझे ये बिल्कुल समझ नहीं आता। यह बहुत नेगेटिव और एक तरह से काफी गैरजिम्मेदाराना है।' इसपर मस्क ने ट्वीट किया था, 'मैंने मार्क से इसके (AI के) भविष्य पर बात की थी। उनकी समझ इस मुद्दे पर काफी कम है।'
मस्क AI के मुद्दे पर कई बार बोलते रहे हैं और इसकी सफलता को मानव सभ्यता के लिए बेहद खतरनाक बताते हैं। उनका कहना है कि AI एक ऐसा असामान्य मुद्दा है जहां हमें नियंत्रक की भूमिका में रहना होगा क्योंकि अगर हम सिर्फ प्रतिक्रिया देते रहे और AI को नियंत्रित न कर सके तो देर हो जाएगी।
कुछ ही दिन पहले टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने कहा था कि फेसबुक के को-फाउंडर मार्क जकरबर्ग आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के बारे में बहुत कम जानते हैं। अभी यह बयान पुराना भी नहीं पड़ा, और फेसबुक को कथित रूप से अपना एक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस सिस्टम बंद करना पड़ा क्योंकि, 'बात हाथ से निकलने लगी थी'। इन आर्टिफिशल इंटेलिजेंस बॉट्स ने अपनी एक भाषा गढ़ ली थी जिसमें कोई मानवीय सहयोग नहीं था। इसलिए फेसबुक को यह सिस्टम बंद करना पड़ा। बॉट्स द्वारा नई भाषा गढ़ना और उसमें संवाद करना दिए गए कोड्स के मुताबिक नहीं था।
रविवार को टेक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, 'AI ने दुनियाभर के कम्प्यूटर बंद करना या उस तरह की चीजें नहीं शुरू कीं, लेकिन उसने इंग्लिश का इस्तेमाल बंद कर दिया और अपनी बनाई एक भाषा का इस्तेमाल शुरू कर दिया।' शुरू में AI एजेंट एक-दूसरे से संवाद के लिए इंग्लिश का इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन बाद में उन्होंने एक ऐसी भाषा गढ़ ली जिसे सिर्फ AI सिस्टम ही समझ सकें।
इससे फेसबुक रिसर्चरों को AI सिस्टम बंद करने पड़े और उन्हें अंग्रेजी में एक दूसरे से बात करने के लिए मजबूर करना पड़ा।
जून में फेसबुक के AI रिसर्च लैब (FAIR) के रिसर्चर जब चैटबॉट्स को इम्प्रूव करने में व्यस्त थे तो उन्होंने पाया कि डायलॉग एजेंट्स अपनी एक भाषा तैयार कर रहे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जल्द ही, बॉट्स का ध्यान स्क्रिप्टेड चीजों पर से हटने लगा और वे बिल्कुल नई भाषा में बात करने लगे जो इंसानी समझ से बाहर थी।
मशीन लर्निंग ऐलगॉरिथम्स का इस्तेमाल करते हुए डायलॉग एजेंट्स की संवाद कला बेहतर बनाने के लिए उन्हें खुलकर बात करने दी जा रही थी। रिसर्चरों ने यह भी पाया कि ये बॉट्स काफी अच्छे से मोलभाव कर रहे थे।
रिपोर्ट्स में कहा गया है, कि समय के साथ मोलभाव में काफी तेज़ हो गए और किसी चीज़ में नकली इंट्रेस्ट दिखाने लगे ताकि आगे जाकर एक झूठे कॉम्प्रमाइज में वे दिखा सकें कि उन्होंने वह चीज़ सैक्रिफाइस कर दी है।
हालांकि, यह AI के लिए बड़ी सफलता लगती है, लेकिन प्रफेसर स्टीफन हॉकिंग सहित कई एक्सपर्ट्स को डर है कि धीमी बायॉलजिकल एवल्यूशन वाले इंसानों पर AI राज कर सकती है।
टेस्ला के सीईओ एलन मस्क के अलावा बिल गेट्स और ऐपल के को-फाउंडर स्टीव वॉजनिऐक ने भी AI टेक्नॉलजी के भविष्य पर चिंता जताई है। कुछ ही दिन पहले एलन मस्क और मार्क जकरबर्ग के बीच बहस छिड़ गई थी। जकरबर्ग ने मस्क को निशाने पर लेते हुए कहा था, 'कुछ लोग हर चीज़ में ना कहते हैं, मुझे ये बिल्कुल समझ नहीं आता। यह बहुत नेगेटिव और एक तरह से काफी गैरजिम्मेदाराना है।' इसपर मस्क ने ट्वीट किया था, 'मैंने मार्क से इसके (AI के) भविष्य पर बात की थी। उनकी समझ इस मुद्दे पर काफी कम है।'
मस्क AI के मुद्दे पर कई बार बोलते रहे हैं और इसकी सफलता को मानव सभ्यता के लिए बेहद खतरनाक बताते हैं। उनका कहना है कि AI एक ऐसा असामान्य मुद्दा है जहां हमें नियंत्रक की भूमिका में रहना होगा क्योंकि अगर हम सिर्फ प्रतिक्रिया देते रहे और AI को नियंत्रित न कर सके तो देर हो जाएगी।