यह रोबोट तो इंसानों की तरह सोचता है
Bhaskar News Network | Last Modified - Mar 03, 2016, 02:05 AM IST
थ्रीडीप्रिंटर की तकनीक से इंजीनियर दिवाकर ने अपने ही मानव रोबोट का अपडेट वर्जन मार्क-2 तैयार किया है। यह केवल डांस...
थ्रीडीप्रिंटर की तकनीक से इंजीनियर दिवाकर ने अपने ही मानव रोबोट का अपडेट वर्जन मार्क-2 तैयार किया है। यह केवल डांस ही नहीं करता, बल्कि इंसानों की तरह सोचता भी है। जिसे ब्रेन सेंसिंग तकनीक के जरिए ब्रेन क्लोनिंग में विकसित किया गया है। इसके सारे पुर्जे 3 डी प्रिंटर की मदद से बनाए गए हैं। जो फैक्ट्री में नहीं बल्कि कंप्यूटर में फीड किए डिजाइन से तैयार हैं, इसलिए रोबोट के सिर पर बनी पतली रेखाएं और उसके बीच में रेखाओं का गेप उसे ब्रेन क्लोनिंग में मदद करता है।
दिल्ली के करोल बाग में रहने वाले रोबोटिक इंजीनियर दिवाकर वैश ने अपने मानव रोबोट को अब इमोशन दिए हैं। भूख लगने पर यह खाना लाता है और प्यास लगने पर पानी। ऐसे ही आप मीठा फल खा रहे हैं और आपको वह पसंद है तो मार्क-2 को भी यह पसंद है। अगर आप खट्टा फल खा रहे हैं और आपको पसंद नहीं है तो मार्क-2 ऑफर करने पर उसे लेने से मना कर देगा। दिवाकर का कहना है कि मार्क-2 में मैंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम बुद्धि डाली है, जिससे वह इंसान की फिलिंग को समझकर एक्ट करता है। अभी रोबोटिक्स में रुचि लेने वाले इससे कुछ सीख पाएंगे’। मार्क-2 की बाजार कीमत दो लाख रुपए रखी है।
मार्क टू है ज्यादा लचीला
दिवाकरबताते हैं कि मार्क टू- में बेसिक और एडवांस मिलाकर 21 सर्वो लगे हैं। लिपो बैटरी के कारण यह डेढ़ घंटे तक नॉन स्टॉप चलता है, जबकि मानव आधे घंटे ही चल पाता था। इसका माइक्रो कंट्रोल इनबिल्ट है। इसलिए लैपटॉप के जरिए इसे चलाने की जरूरत नहीं है। ब्रेन सेंसिंग के जरिए वह, इमोशन की क्लोनिंग कर फिलिंग लेता है और फिर एक्ट करता है। हाल ही में दिल्ली आईआईटी में तीन दिन मार्क-2 के विकास पर छात्रों को लेक्चर देकर आया हूं। चलते हुए 2.5 किलोमीटर प्रति घंटा और दौड़ते हुए 4.5 किलोमीटर प्रति घंटा है।
दिल्ली के करोल बाग में रहने वाले रोबोटिक इंजीनियर दिवाकर वैश ने अपने मानव रोबोट को अब इमोशन दिए हैं। भूख लगने पर यह खाना लाता है और प्यास लगने पर पानी। ऐसे ही आप मीठा फल खा रहे हैं और आपको वह पसंद है तो मार्क-2 को भी यह पसंद है। अगर आप खट्टा फल खा रहे हैं और आपको पसंद नहीं है तो मार्क-2 ऑफर करने पर उसे लेने से मना कर देगा। दिवाकर का कहना है कि मार्क-2 में मैंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम बुद्धि डाली है, जिससे वह इंसान की फिलिंग को समझकर एक्ट करता है। अभी रोबोटिक्स में रुचि लेने वाले इससे कुछ सीख पाएंगे’। मार्क-2 की बाजार कीमत दो लाख रुपए रखी है।
मार्क टू है ज्यादा लचीला
दिवाकरबताते हैं कि मार्क टू- में बेसिक और एडवांस मिलाकर 21 सर्वो लगे हैं। लिपो बैटरी के कारण यह डेढ़ घंटे तक नॉन स्टॉप चलता है, जबकि मानव आधे घंटे ही चल पाता था। इसका माइक्रो कंट्रोल इनबिल्ट है। इसलिए लैपटॉप के जरिए इसे चलाने की जरूरत नहीं है। ब्रेन सेंसिंग के जरिए वह, इमोशन की क्लोनिंग कर फिलिंग लेता है और फिर एक्ट करता है। हाल ही में दिल्ली आईआईटी में तीन दिन मार्क-2 के विकास पर छात्रों को लेक्चर देकर आया हूं। चलते हुए 2.5 किलोमीटर प्रति घंटा और दौड़ते हुए 4.5 किलोमीटर प्रति घंटा है।
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