हाल में आयोजित हुई एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एएएआई) के 27वें कृत्रिम बुद्धिमता सम्मेलन में शिकागो के शोधकर्ताओं ने खुलासा किया कि कृत्रिम बुद्धि वाली मशीनें अभी इतनी विकसित नहीं हुई है कि फंतासी फिल्मों की तरह दुनिया पर खतरा बन कर मंडरा सकें, फिलहाल उनका -- पर नियंत्रण करता है। क्या है कृत्रिम बुद्धिमता कृत्रिम तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता या आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस -- तरह से ही शब्दों की पहचान कर एवं पढ़ सकती है। शतरंज खेल सकती है, ध्वनियां और आवाजों को पहचान लेती हैं। कृत्रिम बुद्धिमता पर काम करने वाले कई वैज्ञानिक मानते हैं कि मानव मस्तिष्क सिर्फ एक अति विकसित कम्प्यूटर है और एक दिन इंसान इतना ही विकसित कम्प्यूटर बना लेगा जबकि दूसरे कई वैज्ञानिकों का मानना है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इतने पहलू मिल कर भी मनुष्य के सहज-ज्ञान या कॉमनसेंस का मुकाबला नहीं कर सकते क्योंकि मशीनों का सामथ्र्य इनकी प्रोग्रामिंग पर निर्भर करता है जबकि मानवीय मस्तिष्क की कोई सीमा नहीं है, कृत्रिम बुद्धिमता इंसानी रचनात्मकता को भी टक्कर नहीं दे सकती। -- कंसेप्टनेट ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन जहां कहीं "क्यों" का सवाल आ गया, इस कृत्रिम बुद्धिमता का प्रदर्शन औसत से भी बदतर था। हालांकि "कंसेप्टनेट" को एक ऎसे नेटवर्क के तौर पर विकसित किया जा रहा है जो -- जितनी कुशल मशीने अभी नहीं हुई हैं। कृत्रिम बुद्धिमता की राह में कई बाधाएं हैं, जिन्हें दूर किए जाने की कोशिश चल रही है। हम अपने आस-पास के माहौल के सहज ज्ञान को आत्मसात करते -- शिकागो यूनिवर्सिटी कृत्रिम बुद्धिमता और जैविक मस्तिष्क में गुणात्मक फर्क है और कुछ ऎसे काम है जो इंसानी दिमाग ही कर सकता है, टेक्नोलॉजी उसे कभी नहीं कर पाएगी। -- काम नहीं आती नकली बुद्धि कम्प्यूटर की कृत्रिम बुद्धिमता यह नहीं समझ पाती कि पूल में खुशी से भी छलांग लगाई जा सकती है और ब्रिज से आत्महत्या करने के लिए भी। -- में हाथ डालने पर यही पानी दर्द का कारण बन जाता है। किसी के डूबने की स्थिति में कम्प्यूटर आधारित कृत्रिम बुद्धिमता पहले उसे बचाने की बात कहेगी जिसकी जिंदा रहने की संभावना सबसे ज्यादा हो, जैसा कि