रचनाकार : हिन्दी लेखन में एक प्रमुख ब्लॉग
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रचनाकार इंटरनेट पर मौजूद हिन्दी के सबसे मजबूत ब्लॉग में से एक हैं । रचनाकार , के ब्लॉग एडिटर रविशंकर श्रीवास्तव “रविरतलामी” हैं और उनके द्वारा संचालित किया जा रहा हैं । रवि हिन्दी लेखन के जाने माने नाम हैं जो लगातार हिन्दी के क्षेत्र में काम कर रहे हैं । हिन्दी और तकनीक को साथ करने के क्षेत्र में कार्य करने वाले रवि जी को हिन्दी वेब तकनीक से जुड़ी बातो का बहुत वर्षो का अनुभव भी हैं । रचनाकर के अलावा रवि जी अपने निजी ब्लोगस “छींटे और बौछारें” के द्वारा हिन्दी साहित्य लेखन से जुड़े हुये हैं ।
रविशंकर श्रीवास्तव “ रविरतलामी” जो इस ब्लॉग के संचालक हैं , उन्होने इस ब्लॉग के पहले भी इंटरनेट के क्षेत्र में हिन्दी को लाने में काफी काम किया हैं । माइक्रोसाफ्ट कम्पनी के भाषाइंडिया पुरस्कार से नवाज़े जा चुके रविरतलामी को हिन्दी साहित्य में लेखन में 25 वर्षो का अनुभव हैं । आई.टी पत्रिका के तकनीकी लेखक पैनल तथा इंडलिनक्स हिन्दी टीम के सदस्य भी रह चुके हैं। इंटरनेट पर रामचरित मानस को यूनीकोड में उपलब्ध कराने में भी रविरतलामी का सक्रिय सहयोग रहा।
रवि रतलामी को अनुवाद क्षेत्र में काफी अनुभव हैं । रवि जी हिंदी वेबपत्रिका अभिव्यक्ति, के नियमित लेखक हैं। रविरतलामी के कार्यो में निरंतर भी प्रमुख रही हैं जो एक ब्लॉग पत्रिका हैं , वे उसके संपादक भी रह चुके हैं ।
रवि विद्युत अभियांत्रिकी में स्नातक हैं। इन्हें म.प्र.राज्य विद्युत मंडल में २० से अधिक वर्षों का तकनीकी तथा प्रबंधन का अनुभव है। सन् 2003 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले कर रवि जी ने अपना पूरा समय हिन्दी के अनुवाद कार्य में लगा दिया। बहुत दिनों से सबसे बुजुर्ग ब्लागर की कुर्सी पर काबिज रवि को उनसे भी बुजुर्ग ब्लागरों ने आकर जवान बना दिया। पर फिलहाल हिंदी चिट्ठाकारी में सबसे ज्यादा शब्द लिखने का खिताब रवि जी के पास बरकरार है।
"ये उम्र और तारे तोड़ लाने की ख्वाहिशें
व्यवस्था ऐसी और परिवर्तन की ख्वाहिशें।
आदिम सोच की जंजीरों में जकड़े लोग
और जमाने के साथ दौड़ने की ख्वाहिशें।
तंगहाल घरों के लिए कोई विचार है नहीं
कमाल की हैं स्वर्णिम संसार की ख्वाहिशें।
कठिन दौर है ये नून तेल और लकड़ी का
भूलना होगा अपनी मुहब्बतों की ख्वाहिशें।
जला देंगे तुझे भी दंगों में एक दिन रवि
रवि जी द्वारा लिखी कुछ पंक्ति
रवि रतलामी रचनाकर के माध्यम से एक महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं। लेकिन ब्लोगस की कुछ अपनी कुछ सीमाएँ भी हैं क्योंकि कई बार सामग्री के चयन में वह समझ नहीं दिखाई देती जो अच्छे साहित्य को प्रस्तुत करने के पीछे काम करती है। यही कारण है कि कई बार इसमें अपेक्षाकृत कमजोर लेखन भी प्रकाशित हो जाती हैं। लेकिन यह ब्लॉग इस अर्थ में उल्लेखनीय है कि यह नए से नए साहित्यकार या लेखक के लिए वेब पर एक बेहतर प्लेटफार्म तो देता ही है।
Isahitya