ख़बरें विस्‍तार से
ताजा खबर SMS करें NEWS 52424 पर

आपके व्यक्तित्व का आइना है लिखावट

आजतक वेब ब्‍यूरो/भाषा | नई दिल्ली, 22 जनवरी 2012 | अपडेटेड: 17:34 IST
टैग्स: हस्तलिपि| लिखावट| व्यक्तित्व| Handwriting
  • ई-मेल राय दें
  • प्रिंट
हस्तलेख
आज के कंप्यूटर और ईमेल के युग में हाथ से चिट्ठी, आवेदन पत्र आदि लिखने की गुंजाइश भले ही कम हुई हो, लेकिन हस्तलेख विशेषज्ञों की मानें, तो हस्तलिपि किसी भी शख्स के व्यक्तित्व का आइना होते हैं.

किसी भी व्यक्ति की लिखावट की मदद से व्यक्ति के व्यवहार, उसकी जीवन शैली के साथ ही अन्य कई बातों का पता भी लगाया जा सकता है. हस्तलेख विशेषज्ञ वीसी मिश्रा ने कहा कि किसी व्यक्ति के बारे में जानने में उसकी लिखाई की बनावट अहम भूमिका निभाती है.

उन्होंने कहा, ‘अपराधियों को पकड़ने, जाली हस्ताक्षर आदि के मामलों में तो हस्तलिपि के महत्व के बारे में काफी लोग जानते हैं, लेकिन कम लोगों को पता है कि इसकी मदद से किसी व्यक्ति के व्यवहार, उसकी प्रवृत्ति, जीवनशैली आदि के बारे में भी जाना जा सकता है.’

मिश्रा ने कहा, ‘लापरवाह लोगों की लिखाई में अक्षर बहुत बेतरतीब ढंग से लिखे होते हैं, जबकि अनुशासन प्रिय लोग बहुत सावधानी से जमाकर लिखते हैं. दरअसल हैंडराइटिंग को ‘ब्रेन राइटिंग’ कहा जाता है. आपका व्यवहार, विचारधारा आपकी लिखावट से झलकती है.’

उन्होंने कहा, ‘12-15 साल तक तो बच्चे को माता-पिता या स्कूल के शिक्षक जैसा बताते हैं, वह उसी तरह लिखने की कोशिश करता है, लेकिन इसके बाद उसकी अपनी शैली विकसित होना शुरू हो जाती है, जो उसके व्यक्तित्व पर निर्भर करती है. यह प्रक्रिया 18 से 24 साल तक पूर्ण हो जाती है.’

एक अन्य हस्तलेख विशेषज्ञ मानसी ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की हस्तलिपि से कई मनोवैज्ञानिक समस्याओं का पता लगाया जा सकता है.

मानसी ने कहा, ‘हस्तलिपि की मदद से किसी व्यक्ति में तनाव आदि के संकेत मिल जाते हैं. यदि किसी में आत्महत्या का विचार हो तो यह भी इसे देखकर पता लगाया जा सकता है.’

इस बारे में मिश्रा ने कहा कि आप उसी तरह लिखते हैं, जिस तरह के विचार आपके जेहन में चल रहे होते हैं, इसलिए कई मनोवैज्ञानिक समस्याओं का पता हस्तलिपि से चल सकता है. न केवल मनोवैज्ञानिक बल्कि कुछ हद तक शारीरिक समस्याओं का पता भी इसकी मदद से चल जाता है.

उन्होंने कहा, ‘हदय रोग, रक्तचाप, मस्तिष्क में रक्तप्रवाह संबंधी कुछ बीमारियों का पता हस्तलिपि देखकर लगाया जा सकता है. बीमारी के शुरुआती दौर में यह किसी भी व्यक्ति की लिखावट में अपनी छाप छोडती हैं, लेकिन यह चिकित्सीय संकेतक की तरह होता है और इसकी पुष्टि के लिए डॉक्टर आदि की मदद अवश्य लेनी चाहिए.’

मिश्रा ने कहा कि हस्तलिपि से न केवल मानसिक समस्याओं का पता लगाया जा सकता है बल्कि इसमें बदलाव लाकर काफी हद तक उन्हें दूर भी किया जा सकता है.

उन्होंने कहा, ‘हस्तलेखों के अध्ययन को ‘ग्राफोलॉजी’ और इसमें बदलाव लाकर किए जाने वाले इलाज को ‘ग्राफोथरेपी’ कहते हैं.’

मिश्रा ने कहा कि आजकल तो कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी हस्तलिखित आवेदन लेती हैं और उनके विश्लेषण के आधार पर कर्मचारियों का चयन करती हैं. हालांकि यह विधा ‘एप्लाइड साइंस’ की श्रेणी में मानी जाती है और इसे ‘परफेक्ट साइंस’ में नहीं रखा गया है.’

‘हैंडराइटिंग डे’ कप्यूटर और टाइपिंग के इस दौर में लोगों में लिखने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है.
(23 जनवरी 'हैंडराइटिंग डे' पर विशेष)

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो देखने के लिए जाएं http://m.aajtak.in पर.
डाउनलोड करें आजतक एप्लीकेशन
हमसे जुड़ें
आज तक के साथ जुड़ें