हिन्दी (Hindi)
हिन्दी
सांवैधानिक तौर पर भारत की प्रथम राजभाषा है और सबसे ज्यादा
बोली और समझी जानेवाली भाषा है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ
उत्तर एवं मध्य भारत के विविध प्रांतों में बोली जाती हैं ।
२६ जनवरी १९६५ को हिन्दी को भारत की आधिकारिक भाषा का दर्जा
दिया गया ।
हिन्दी
Spoken - भारत, नेपाल, फिजी, सूरीनाम, अमरीका,
इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया,
क्षेत्र - दक्षिण एशिया
(South Asia)
कुल बोलनेवाले - ४८० मिलियन
स्थान - २ सरा
भाषाई परिवार भाषाई वर्गीकरण इंडो युरोपियन - इंडो
इरानियन - इंडो आर्यन
हिन्दी आधिकारीक
स्थिति - राजभाषा भारत
(National language of India)
नियामक - भारत सरकार
भाषा कूट - ISO 639-1 hi - ISO 639-2 hin - SIL HND
चीनी एवं अन्ग्रेज़ी के बाद हिन्दी विश्व में सबसे ज़्यादा
बोली जाने वाली भाषा है । भारत और विदेश में ६० करोड़ (६००
मिलियन) से अधिक लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं ।
फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम और नेपाल की अधिकतर जनता
हिन्दी बोलती है ।
भाषाविद हिन्दी एवं
उर्दू को एक ही भाषा समझते हैं । हिन्दी
देवनागरी लिपि में लिखी जाती है और शब्दावली के स्तर पर
अधिकांशत:
संस्कृत के शब्दों का प्रयोग करती है । उर्दू
नस्तालिक़ में लिखी जाती है और शब्दावली के स्तर पर उस पर
फारसी और अरबी भाषाओं का ज़्यादा असर है । व्याकरणिक रुप से
उर्दू और हिन्दी में लगभग शत-प्रतिशत समानता है - सिर्फ़ कुछ
खास क्षेत्रों में शब्दावली के स्त्रोत (जैसा कि उपर लिखा गया
है) में अंतर होता है। कुछ खास ध्वनियाँ उर्दू में अरबी और
फारसी से ली गयी हैं और इसी तरह फारसी और अरबी के कुछ खास
व्याकरणिक संरचना भी प्रयोग की जाती है।
इतिहास क्रम
(Historical timeline of Hindi)
७५० बी. सी. - संस्कृत का वैदिक संस्कृत के बाद का क्रमबद्ध
विकास।
५०० बी. सी. - बोद्ध तथा जैन की प्राकति अक्षरमाला का विकास
(पूर्वी भारत)
४०० बी. सी. - पाणिनी ने संस्कृत व्याकरण लिखा (पच्छिमी
भारत)।
वेदिक संस्कृत से पाननी की संस्कृत का उदगम।
३२२ बी. सी. - मौर्यों द्वारा ब्राहमी लिपी का विकास।
२५० बी. सी. - आदि संस्कृत का विकास।(आदि संस्कृत ने धीरे
धीरे १०० बी. सी. तक प्राकति का स्थान लिया)
३२० - गुप्त या सिद्ध मात्रिका लिपी का विकास।
अप्रभान्षा तथा आदि हिन्दी का विकास
४०० - कालीदास ने "विक्रमोर्यशियम" अप्रभान्षा मैं लिखी।
५५० - वलभी के दर्शन मैं अप्रभान्षा का प्रयोग।
७६९ - सिद्ध सारहपद (जिन्है हिन्दी का पहला कवि मानते हैं)
ने "दोहाकोश" लिखी।
७७९ - उदयोतन सुरी कि "कुवलयमल" मैं अप्रभान्षा का प्रयोग।
८०० - संस्कृत मैं बहुत सी रचनायैं लिखी गयीं।
९९३ - देवसेन की "शवकचर" (हिन्दी की पहली पुस्तक)।
११०० - आधुनिक देवनागरी लिपी का प्रथम स्वरूप।
११४५-१२२९ - हेमचन्द्र ने अप्रभान्षा व्याकरण की रचना की।
अप्रभान्षा का अस्त तथा आधुनिक हिन्दी का विकास
१२८३ - खुसरो की पहेली तथा मुकरिस मैं "हिन्दवि" शव्द क
उपयोग।
१३७० - "हन्सवाली" की आसहात ने प्रेम कथाओं की शुरुआत की।
१३९८-१५१८ - कबीर की रचनाओं ने निर्गुण भक्ती की नीवँ रक्खी।
१४००-१४७९ - अप्रभान्षा के आखरी महान कवि रघु।
१४५० - रामानन्द के साथ "सगुण भक्ती" की शुरुआत।
१५८० - शुरुआती दक्खिनी का कार्य "कालमितुल हाकायत्"
बुर्हनुद्दिन जनम द्वारा।
१५८५ - नवलदास ने "भक्तामल" लिखी।
१६०१ - बनारसीदास ने हिन्दी की पहली आत्मकथा "अर्ध कथानक्"
लिखी।
१६०४ - गुरु अर्जुन देव ने कई कविओं की रचनाओं का सन्कलन "आदि
ग्रन्थ" निकाला।
१५३२ -१६२३ तुलसीदास ने "रामचरित मानस" की राचना की।
१६२३ - जाटमल ने "गोरा बादल की कथा" (खडी बोली की पहली रचना)
लिखी।
१६४३ - रामचन्द्र शुक्ला ने "रीति" के द्वारा काव्य की
शुरुआत की।
१६४५ - उर्दू की शुरुआत।
आधुनिक हिन्दी
(Modern Hindi)
१७९६ - देवनागरी रचनाओं की शुरुआती छ्पाई।
१८२६ - "उदन्त मार्तण्ड" हिन्दी का पहला साप्ताहिक।
१८३७ - ओम् जय जगदीश" के रचियता पुल्लोरी क जन्म ।
हिन्दी भारत की राजभाषा के रुप में स्थापित
हिन्दी का मानकीकरण
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से हिन्दी और देवनागरी के
मानकीकरण की दिशा में निम्न्लिखित क्षेत्रों में प्रयास हुये
हैं:-
हिन्दी व्याकरण का मानकीकरण
वर्तनी का मानकीकरण
शिक्षा मंत्रालय के निर्देश पर केन्द्रीय हिन्दी संस्थान
द्वारा देवनागरी का मानकीकरण
वैज्ञानिक ढंग से देवनागरी लिखने के लिये एकरूपता के प्रयास
यूनिकोड का विकास
हिन्दी की शैलियाँ
(Dialects)
बाजारी हिन्दी
हिंग्रेजी
बम्बइया हिन्दी
दक्खिनी हिन्दी
पारसी हिन्दी
मारवाड़ी हिन्दी
लाठर
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