हैंडराइटिंग पढ़िए, पैसे बनाइए
नवभारत टाइम्स | May 30, 2012, 09.00AM IST ग्राफॉलजी यानी हैंडराइटिंग से व्यक्तित्व को समझने की पढ़ाई। इस कोर्स में व्यक्ति का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करना और मानसिक बीमारियों के बारे में पता लगाना भी सिखाया जाता है। इसके और भी इस्तेमाल हैं और इसी में से एक है ग्रोफोथेरपी। इसका इस्तेमाल चरित्र सुधारने के लिए किया जा रहा है। यह लिखावट में बदलाव के जरिए व्यक्तित्व में सुधार की थेरपी है। ग्राफॉलजी तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है। ग्राफॉलजिस्ट की जरूरत आम जिंदगी में भी महसूस की जाने लगी है। कॉरपोरेट वर्ल्ड में भी ऐसे लोगों को काम मिल रहा है।
योग्यता ग्राफॉलजी ऐसा कोर्स है,जिसमें किसी खास शैक्षिक योग्यता की जरूरत नहीं होती है। जिस व्यक्ति में लोगों को जानने-समझने, उनसे मिलने जुलने जैसे गुण हैं, वे इस सब्जेक्ट में अच्छा कर सकते हैं। ग्राफॉलजी का कोर्स कराने वाले संस्थान हमारे देश में अभी कम ही हैं। वैसे तो दिल्ली में भी संस्थान हैं, लेकिन साउथ इंडिया में इस सब्जेक्ट में छोटा-बड़ा कोर्स कराने वाले संस्थानों की कोई कमी नहीं है। बेसिक कोर्स से लेकर आप सर्टिफिकेट कोर्स तक कर सकते हैं। बेसिक कोर्स तो महीने भर में ही किए जा सकते हैं। इस सब्जेक्ट में साल भर के कोर्स भी हैं।
अवसर इस सब्जेक्ट की पढ़ाई करने वाले एक प्रकार से मनोविज्ञानी की तरह काम करते हैं। ग्राफोलॉजिस्ट मानसिक स्थिति का भी पता लगा लेते हैं। लिहाजा इस क्षेत्र में काम की संभावना किसी प्रकार कम नहीं है। सबसे पहली बात तो यह है कि आप एक प्रफेशनल के नाते अपना काम शुरू कर सकते हैं। ऐसी इच्छा न हो तो आप किसी काउंसिलर या काउंसिलिंग फर्म आदि के साथ जुड़ कर जॉब पा सकते हैं। फॉरेंसिक लैब्स में भी हैंडराइटिंग अनालिस्ट की जरूरत होती है।
सैलरी अगर आप इस सब्जेक्ट की पढ़ाई कर स्पेशलिस्ट के रूप में जॉब पाते हैं ,
तो सैलरी भी अच्छी मिलती है। वहीं आपना काम करने पर कमाई की कोई सीमा नहीं है। जैसा काम चलेगा ,
वैसी कमाई होगी। इस क्षेत्र में अपना संस्थान शुरू करने का भी अभी काफी स्कोप है।