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नदी के अस्तित्व की चिंता जरूरी मुद्दा : बढ़ती आबादी और पेयजल संकट गंभीर बांध पर कुछ गंभीर बातें ड्राय होली, विनाश के मुहाने पर दुनिया अनशन का 30वां दिन Latest * धरती चुकाती है बोतलबंद पानी की कीमत * यमुना का संकट, जल का संकट * क्षमा करें मगर सीवर तक में हैं सियासत * ਪੰਜਾਬ ਜ਼ਹਿਰੀ ਧਰਤੀ ਕਾਰਣ ਨਸਲਕੁਸ਼ੀ ਵੱਲ * कुंभ में उठी नदियों की जीवंतता को संवैधानिक दर्जे की मांग * भरपूर पानी का भ्रम * संकट में भारत का भूमिगत जल * गंगा का अस्तित्व बचाने के लिए संगम में उतरे उत्तराखंडवासी * एक नदी मैली सी * मनरेगा के सामाजिक अंकेक्षण पर जनसुनवाई सम्पन्न * ਦੇਵਾਸ: ਪਸੀਨੇ ਨਾਲ ਉਠਿਆ ਜਲਸਤਰ * ज़मीन से जुड़ा है जीना मरना * हिंडन नदी मामले में उ. प्र. सिंचाई सचिव तलब * गंगा : एक परिचय * आस्था का महाकुंभ * ਜੈਵਿਕ ਖਾਦ- ਜ਼ਰੂਰਤ ਅਤੇ ਤਕਨੀਕ * जब सजा में बदल जाता है मौसम का मजा * पानी का हिसाब-किताब * गंगा का अशुद्ध जल श्रद्धालुओं को कर रहा है बेचैन more Home » ब्रेल लिपी में ब्रेल लिपी में 'आज भी खरे हैं तालाब' 'आज भी खरे हैं तालाब' एक और इतिहास रचते हुए अब ब्रेल लिपी में भी उपलब्ध हो गयी है। ४ जनवरी १८०९ को फ्रांस में जन्मे ब्रेल लिपि के निर्माता लुई ब्रेल दृष्टिबाधित लोगों के लिए ज्ञान के चक्षु बन गए। उनके 200वें जन्मदिन के अवसर पर 'आज भी खरे हैं तालाब' को ब्रेल लिपी में छापा गया है। अपने देश में बेजोड़ सुंदर तालाबों की कैसी भव्य परंपरा थी, पुस्तक उसका पूरा दर्शन कराती है। तालाब बनाने की विधियों के साथ-साथ अनुपम जी की लेखनी उन गुमनाम नायकों को भी अंधेरे कोनों से ढूँढ़ लाती है, जो विकास के नए पैमानों के कारण बिसरा दिए गए हैं। अपने देश में बेजोड़ सुंदर तालाबों की कैसी भव्य परंपरा थी, पुस्तक उसका पूरा दर्शन कराती है। तालाब बनाने की विधियों के साथ-साथ अनुपम जी की लेखनी उन गुमनाम नायकों को भी अंधेरे कोनों से ढूँढ़ लाती है, जो विकास के नए पैमानों के कारण बिसरा दिए गए हैं। ऐसी विरली ही पुस्तकें होती हैं जो न केवल पाठक तलाशती हैं, बल्कि तलाशे पाठकों को कर्मठ सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में तराशती भी हैं। अपनी प्रसन्न जल जैसी शैली तथा देश के जल स्रोतों के मर्म को दर्शाती एक पुस्तक ने भी देश को हज़ारों कर्मठ कार्यकर्ता दिए हैं। 'आज भी खरे हैं तालाब' का पहला संस्करण 1993 में छपा। अब तक पुस्तक ने देश भर में आवारा मसीहा की तरह घूम-घूम कर अपने-अपने क्षेत्र के जल स्रोतों को बचाने की अलख जगा दी और यह सिलसिला आगे ही आगे बढ़ता जा रहा है। Tags – ‘Aaj Bhi Khare Hain Talab’ in Braille script , "Ponds are sustainable even today' in Braille script * + Printer-friendly version Printer-friendly version Post new comment Subject: ____________________________________________________________ Comment: * ____________________________________________________________ ____________________________________________________________ ____________________________________________________________ ____________________________________________________________ ____________________________________________________________ ____________________________________________________________ ____________________________________________________________ ____________________________________________________________ ____________________________________________________________ ____________________________________________________________ ____________________________________________________________ ____________________________________________________________ ____________________________________________________________ ____________________________________________________________ ____________________________________________________________ * Web page addresses and e-mail addresses turn into links automatically. * Allowed HTML tags:
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