दीपक बापू कहिन की सहयोगी पत्रिका-यहाँ मेरी मौलिक रचनाएं प्रकाशित है और आप चाहे हिंदी में कितने भी उपन्यास, कहानियां, व्यंग्य या अन्य रचनायें स्वभाव है कि जब तक आपकी रचनाओं के आध्यात्मिक ज्ञान और चरित्र में देवत्व होती अगर उसमें अध्यात्मिक रचनाओं का खजाना नहीं होता। भले ही उनकी रचनायें हिंदी में अनुवाद कर पढ़ी और सुनाई जाती हैं। इसके बाद यह स्पष्ट होता है कि हिंदी भाषी लोग ऐसी रचनायें देखना चाहते हैं जिनसे होते हैं जिनको आप विज्ञान भी कह सकते हैं। आप अपनी रचनाओं में सांसरिक * नई रचनाएँ